प्रश्न – आत्मज्ञान और समाधि दोनों एक है या भिन्न ॽ आत्मज्ञान एवं समाधि में क्या अन्तर है ॽ क्या आत्मज्ञान से समाधि हो सकती है ॽ
उत्तर – आत्मज्ञान और समाधि दोनों एक नहीं है परन्तु भिन्न है । आत्मज्ञान आत्मा के विषय में ज्ञान है और समाधि योग-साधना की सहायता से उत्पन्न विकास की एक भूमिका या अवस्था है । योगसाधना में आठ अंग हैं – यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान, और समाधि । इसमें समाधि आठवाँ एवं आखिरी अंग है । ध्यान के दीर्घ समय के गहन अध्ययन के बाद ही समाधिदशा की प्राप्ति होती है । जब कि आत्मज्ञान यानी आत्मा के ज्ञान से समाधि नहीं मिलती । मगर समाधि प्राप्त करने में सहायता अवश्य मिलती है । यूँ भी कह सकते हैं कि अघिकाधिक सिद्धि प्राप्त होने से या समाधिदशा की दृठता होने से आत्मज्ञान प्राप्त हो सकता है । इस तरह से देखा जाए तो आत्मज्ञान समाधि का संतान है । समाधि साधन है और आत्मज्ञान साध्य है । सच्ची व संपूर्ण शांति समाधि और एकमात्र समाधि द्वारा नहीं मिल सकती किन्तु आत्मज्ञान की सहायता से ही उपलब्ध हो सकेगी । जीवन की सिद्धि आत्मज्ञान से ही सम्भव है ।
प्रश्न – आत्मज्ञान तो शास्त्रों के चिंतनमनन के द्वारा भी मिल सकता है न ॽ
उत्तर – शास्त्रों के चिंतनमनन से जो मिलता है उसे आत्मज्ञान न कहकर शास्त्रज्ञान कहना ही उचित है । शास्त्रों के चिंतनमनन से यदि आत्मा का ज्ञान मिलता है ऐसा मान ले तो भी ऐसे आत्मज्ञान से शांति नहीं मिल सकती । इससे भेदभाव या अहंभाव की निवृत्ति नहीं होती और इससे जीवन का श्रेय भी नहीं होता । उदाहरणार्थ रसोई का ज्ञान होने से रसोई के बारे में जानकारी मिलती है पर इससे भूख नहीं मिटती । भूख तो उसका आस्वाद करने से ही मिटती है । इसी तरह शास्त्रों की सहायता से प्राप्त आत्मज्ञान से भ्रान्ति नहीं मिटती । भ्रान्ति मिटाने का और शांति प्रदान करने का काम तो अनुभवज्ञान ही करता है । ऐसा अनुभवज्ञान प्राप्त करने हेतु दीर्घ समय तक उत्साहपूर्वक साधना करनी पड़ती है । इस साधना के परिणामस्वरूप साधक को आत्मदर्शन होता है और आत्मा के ऐसे प्रत्यक्ष दर्शन के परिणामस्वरूप आत्मा का प्रत्यक्ष, अनुभवजन्य निस्संदेह सुस्पष्ट ज्ञान प्राप्त होता है । ऐसा आत्मज्ञान किसी ऐरे गैरे नत्थू खैरे को नहीं मिलता । उसके लिए कठोर परिश्रम करना पड़ता है । ऐसा आत्मज्ञान ही सब प्रकार से सुखकारक, शांतिप्रदायक एवं तारक हो सकता है । ईसीलिए उसे प्राप्त करनेका ही निश्चय करना चाहिए । शाश्त्रज्ञान प्राप्त करके रुकना नहीं बल्कि आगे बढ़ना चाहिए ।
प्रश्न – बिना समाधि के चल सकता हैं या नहीं ॽ
उत्तर – इतने सोच-विचार के बाद आपको अपने प्रश्न का उत्तर मिल जाना चाहिए । आत्मा के अनुभवजन्य ज्ञान के लिए समाधि एक महत्वपूर्ण एवं रामबाण साधन है । अतएव इसके बिना नहीं चल सकता । समाधि की सिद्धि के लिए ध्यान के अभ्यास में जुट जाइए और बातों को छोडकर अनुभूति के प्रदेश में प्रवेश करने का प्रयास कीजिए ।
- © श्री योगेश्वर (‘ईश्वरदर्शन’)