if (!window.top.location.href.startsWith("https://swargarohan.org/") && window.top.location.href != window.self.location.href) window.top.location.href = window.self.location.href;

Swargarohan | સ્વર્ગારોહણ

Danta Road, Ambaji 385110
Gujarat INDIA
Ph: +91-96015-81921

नवरात्री से दिपावली के बीच माँ के दर्शन तथा वार्तालाप के अनुभव मिलते रहे । मेरी इच्छा इससे अधिक थी, इसलिये विशेष साधना की आवश्यकता थी । ऋषिकेश से चार-पाँच दिन के लिये हम कोलागढ गये क्योंकि वहाँ के भाईओं का बडा आग्रह था । न जाने क्यूँ मगर इस बार यहाँ ज्यादा दिन रहने का मन नहीं हुआ ।

सर्दीयों की मौसम में हमारा गुजरात जाना तय था । बंबई जाने के लिये माँ की प्रेरणा हुई थी । मेरा जीवन माँ की प्रेरणा से चलता है । इसके उपलक्ष में मैं दो-तीन अनुभव बताना चाहता हूँ । दहेरादून से बंबई जाते वक्त मेरा विचार नागदा उतरकर उज्जैन जानेका था । मगर माँ ने प्रेरणा करके कहा की उज्जैन नहीं जाना है, इसलिये मैंने यह विचार वहीं दफन कर दिया । दहेरादून से बंबई के लिये तीसरे वर्ग की टिकट लेना चाहता था मगर माँ की आज्ञा ली तो माँ ने कहा की अनशन किया है, शरीर कमजोर है, इसलिये तीसरे वर्ग में जाने की जरूरत नहीं है । अभी पैसे की व्यवयस्था है तो प्रथम वर्ग में सफर करो ।

ये बातें छोटी है, इतनी महत्वपूर्ण नहीं है, फिर भी माँ किस तरह से मेरा पथप्रदर्शन करती है, ये बताने के लिये मैंने इसे आपके आगे रक्खी है । मेरा जीवन कई वर्षों से माँ की मरजी के मुताबिक चल रहा है । जब छोटी-छोटी बातो में एसा है, तो जाहिर है की जीवन के सभी महत्वपूर्ण निर्णय माँ करती होगी । आप कह सकते हो की मेरा जीवन माँ की अलौकिक इच्छा का अनुवाद है । अब तक उसकी प्रेरणा से मेरा मंगल ही हुआ है । मेरी आत्मकथा का अध्ययन करनेवाले वाचको को इसकी प्रतीति हुई होगी ।

दहेरादून से हम बंबई गये । पिछले कुछ साल से हम वालकेश्वर स्थित खीमजी जीवा सेनेटोरियम में ठहरते थे । इस साल कोशिश करने पर भी यहाँ जगह नहीं मिली, इसलिये हमें माधवबाग धर्मशाला में रहना पडा । वैसे तो धर्मशाला ठीक थी मगर आसपास की होटलों से जो घुँआ निकलता था, बहुत परेशान करता था । एक महिना यहाँ रहने के बाद माँ की कृपा से हमें सेनेटोरियम में जगह मिल गयी । यहाँ का माहौल अच्छा था ।

कुछ दिनों बाद हमने वज्रेश्वरी जाने की योजना बनाई । वज्रेश्वरी अपने कुदरती सौन्दर्य और वज्रेश्वरी माता के मंदिर की वजह से सुप्रसिद्ध है । यहाँ का कुण्ड देखनेलायक है । मंदिर का स्थान उँचाई पर है । यहाँ से आसपास के पहाडों का नयनरम्य दृश्य दिखाई पडता है ।

वज्रेश्वरी से कुछ दूरी पर गणेशपुरी है । यहाँ महात्मा नित्यानंद निवास करते है । जब हम वहाँ पहूँचे तो सुबह के नौ बजे थे । उनके कक्ष के बाहर कुछ स्त्रीपुरुष उनके दर्शन की कामना लेकर बैठे थे । स्वामीजी अपने कमरे में सफेद चादर औढकर सोये हुए थे । करीब आधे घण्टे के बाद वो बैठे हुए । हमने उनके पास जाकर उनका दर्शन किया । उनकी आँखे तेजस्वी थी, शरीर साँवला और भारी था । कुछ देर वो बाहर आकर बैठे और फिर लेटकर आराम करने लगे । लोग उनका दर्शन पाकर प्रसन्न हुए ।

नित्यानंदजी अपने आप में मस्त थे । लोगों की मौजूदगी की उन्हें कोई परवाह नहीं थी । किसीसे बात करना उन्हें पसंद नहीं था । केवल उनके बाह्य व्यवहार से उनके बारे में कोई धारणा करना मुश्किल था । वैसे भी महात्माओं के बाह्य दिखावे से उनकी साधना तथा भूमिका के बारे में अनुमान करना ठीक नहीं है । फिर भी उन्हें देखकर लगा की उनकी आध्यात्मिक अवस्था उच्च है । लोग कहते है की उन्होंने गणेशपुरी में लंबे अरसे तक कठिन तपस्या की थी ।

शायद आप सोचते होंगे की आराम से लेटने के बजाय वो लोगों को बैठकर ठीक तरह से दर्शन देते, उनसे कुछ बातें करते, तो लोगों को कितना लाभ होता ? मगर हरेक संत-महात्मा की अपनी खासियत होती है, लाक्षणिकता होती है । वे कोई सर्वसाधारण नियम से बंधे नहीं होते ।

मैं चाहता था की अपनी साधना के बारे में उनसे कुछ पूछूँ मगर एसा हो न सका । हम बंबई लौट आये । फिर एक दिन सुबह में मुझे उनका दर्शन मिला । वो अपने कमरे में स्नानादि से निवृत्त होकर बैठे थे । उनके कपाल पर भस्म लगी थी । वो संस्कृत में कोई पाठ कर रहे थे । मैंने उनको प्रणाम किया, फिर उनके साथ कुछ अंगत बातचीत हुई ।

उन दिनों, मुझे कोई अनुभूति की उम्मीद थी । माँ की कृपा या स्वामीजी की दिव्यशक्ति – जो भी हो, उनके दर्शन पाकर मुझे असाधारण आनंद हुआ । इससे मुझे अधिक उत्साह और जोश मिला ये कहने की जरूरत नहीं है ।

We use cookies

We use cookies on our website. Some of them are essential for the operation of the site, while others help us to improve this site and the user experience (tracking cookies). You can decide for yourself whether you want to allow cookies or not. Please note that if you reject them, you may not be able to use all the functionalities of the site.