if (!window.top.location.href.startsWith("https://swargarohan.org/") && window.top.location.href != window.self.location.href) window.top.location.href = window.self.location.href;

Swargarohan | સ્વર્ગારોહણ

Danta Road, Ambaji 385110
Gujarat INDIA
Ph: +91-96015-81921

जब मैं कॉलेज के पहले साल में था तब मुझे महात्मा गांधीजी के दर्शन का मौका मिला । गांधीजी उस वक्त बिरला हाउस में ठहरे हुए थे । जी.टी.बोर्डिंग होस्टेल के दो-तीन छात्र उनके दर्शन के लिए जाते थे । एक दिन मैं भी उनके साथ चल पडा । जब हम बिरला हाउस पहूँचे तब शाम की प्रार्थना का वक्त था । बिरला हाउस की लॉन में गांधीजी शांति से बैठे हुए थे । उन्होंने सफेद वस्त्र धारण किये थे । उनकी आँखे बन्द थी और मुख तेजस्वी था । उनके दर्शन करके मुझे बड़ी प्रसन्नता हुई, और क्यूँ न हो ? हमारे देश की आझादी के लिए वे झूझ रहे थे । देश के करोडों लोगों को स्वतंत्र और आर्थिक रीत से समृद्ध करने के लिए उन्होंने अपने निजी जीवन का बलिदान दिया था । देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में उनके कई प्रशसंक थे । प्राचीन ऋषियों की परंपरा को जीवित रखनेवाले, संयमी और शुद्ध जीवन के प्रणेता गांधीजी अर्वाचीन समय की महान विभूति थे । भारत की आझादी के लिए उनके द्वारा किये जानेवाले प्रयासों से मैं कुछ हद तक वाकिफ था, मगर उम्र के हिसाब से मेरी सोच मर्यादित थी ।

गांधीजी के दर्शन ने मेरे मन पर गहरी छाप छोडी । वैसे भी पिछले कई सालों से महापुरुष बनने की आकांक्षा का मुझमें उदय हुआ था और उसे सिद्ध करने के लिए मेरे प्रयास जारी थे । एसे हालात में मेरा गांधीजी के दर्शन करना निर्णायक और महत्वपूर्ण सिद्ध हुआ । हालाकि गांधीजी के साथ बात करने का मुझे कोई मौका नहीं मिला मगर उनके दर्शन से लगा कि मुझे उन्नत जीवन के पथ पर चलकर देश व दुनिया की भलाई करनी चाहिए । सबसे पहले आत्मदर्शन का ध्येय सिद्ध करना चाहिए । बाद में लोकोत्तर शक्तियों से विभूषित होकर ओरों की मदद करनी चाहिए । भावनाशील होने के कारण मैं तरह तरह की कल्पनाएँ करने लगा । मैंने सोचा कि अगर मैं गांधीजी की किसी भी प्रकार सहायता कर सकूँ तो कितना अच्छा होगा ? ईश्वर अगर चाहे तो भारत की आझादी के शुभ कार्य में मैं निमित्त बनूँ । अगर सचमुच एसा हो तो कितना बढिया होगा ? ईश्वर की ईच्छा से कुछ भी संभव हो सकता है, इसलिए सबसे पहले इश्वर का साक्षात्कार करना चाहिए । साक्षात्कार होने पर व्यक्ति अनंत शक्ति को पा लेता है, जिससे वो लोगों की भलाई के काम में जुट सकता है । यह सोचकर मेरी साक्षात्कार की भावना को पुष्टि मिली ।

मुझे लगा कि मेरा जन्म देश और दुनिया का भला करने के लिए है । ईश्वर की कृपा पाकर मैं भगवान बुद्ध और ईशु की तरह दुनिया को शांति और उन्नति का मार्ग दिखाउँगा । मेरे सभी सपनें सही वक्त आने पर अवश्य सिद्ध होगें । एसे खयालों से मेरा मन और अंतर पुलकित हो उठा । कोई विशेष प्रयत्न बिना, मेरे मन में कल्पनाओं के एसे तरंग उठते रहे और कई दिनों तक मैं उनमें खोया रहा ।

देश और दुनिया की सेवा करने का सपना आज भी मौजूद है । मैं कभी कभी सोचता हूँ कि बचपन से लेकर आज तक मैं ओरों की सेवा औऱ सहायता से आगे बढा हूँ । मेरे जीवन की बागडौर ईश्वर ने अपने हाथ ली है और मेरी हर प्रकार से रक्षा की है । अतः मेरा ये फर्ज बनता है कि मैं अपना जीवन ईश्वर को समर्पित करूँ और उसकी ईच्छा से आम लोगों की भलाई के लिए अपना शेष जीवन व्यतीत करूँ । आज मेरा जीवन ईश्वर के चरणों में समर्पित है । लोगों की यथाशक्ति सेवा करने के कई सुनहरे मौके मुझे मिले है और मुझे फक्र है की मेरी हेसियत के मुताबिक मैंने लोगों की सहायता की है । मेरी यह कोशिश हमेशा रहेगी की मेरे शेष जीवन में, मैं ज्यादा से ज्यादा लोगों को सहायता पहूँचा सकूँ ।

देश की स्वतंत्रता के लिए हिमालय में रहकर मैंने माँ से सतत प्रार्थना की थी, जिसका जिक्र आनेवाले पृष्ठों में अवश्य होगा । यहाँ मैं सिर्फ इतना कहेना जरूरी समझता हूँ की देश की आझादी मुझे बहुत प्यारी थी और उसकी चिंता मुझे खाये जा रही थी । इसी वजह से, हिमालय के निर्जन और एकांत प्रदेशो में रहने के बावजूद, देश की स्वतंत्रता के लिए मैं ईश्वर को प्रार्थता रहा । भारत की आझादी के पीछे ईश्वर की निश्चित योजना कार्य कर रही थी । प्रार्थना के माध्यम से उस महाकार्य में मैंने अपना योगदान दिया । गांधीजी के लिए मेरे दिल में कितना आदरभाव था उसका हल्का सा पता मेरी मनोभावनाओं से चलता है ।

मेरे लिए गांधीजी का वो प्रथम और अंतिम दर्शन था । मेरे स्मृतिपट पर वो दर्शन आज भी वैसा ही है और हमेशा एसा बना रहेगा क्यूँकि उनके एक ही दर्शन में प्रेरणा के अनगिनत स्त्रोत छीपे है ।

 

We use cookies

We use cookies on our website. Some of them are essential for the operation of the site, while others help us to improve this site and the user experience (tracking cookies). You can decide for yourself whether you want to allow cookies or not. Please note that if you reject them, you may not be able to use all the functionalities of the site.