if (!window.top.location.href.startsWith("https://swargarohan.org/") && window.top.location.href != window.self.location.href) window.top.location.href = window.self.location.href;

Swargarohan | સ્વર્ગારોહણ

Danta Road, Ambaji 385110
Gujarat INDIA
Ph: +91-96015-81921

एक दुसरी बात भी समजने योग्य हैं । मनुष्य ने जो कर्म किये हैं उनके प्रभाव से उसकी मरज़ी न होने पर भी उसे खास स्थल और परिस्थिति में रहना पड़ता है । कर्म उसे अच्छी या बुरी दशा में ले जाता है । यह बात सच है कि कर्म करने में मनुष्य स्वतंत्र है । अगर वह चाहे तो अच्छा काम कर सकता है और अपना भविष्य उज्जवल बना सकता है । केवल कर्मों को दोष देकर बैठे रहना अनुचित है । ईश्वर को दोष देना ठीक नहीं । कुछ लोग काल को दोष देते हैं और कहते हैं कि क्या करें, कलियुग के दोष ही ऐसे हैं कि मनुष्य उनमें फंसे बगैर नहीं रह सकता । सत्ययुग या त्रेतायुग में जन्म मिला होता तो कितना अच्छा होता? लेकिन यह कथन भी बेबुनियाद है । युग जेसा भी हो उसमें रहकर ही हमें काम करना है और उत्तम मानव बनकर जीवन का ध्येय हासिल करना है । युग केसा भी हो, प्रश्न तो वही है कि आप कैसे हैं और क्या बनना चाहते हैं । अच्छी तरह निर्णय करके कोशिश करने से आपको युग की चिंता नहीं होगी । तुलसीदासजी कहते हैं कि कलियुग की बड़ी विशेषता यह है कि उसमें मानसिक पुण्य तो होता है पर मानसिक पाप नहीं होता । कलियुग में कितनी बड़ी छूट दी गई है । इस युग में जन्म लेने से कितना बडा लाभ हुआ ! दूसरे युगों में तो मन के पापों को भी पाप माना जाता था । इस युग में इतनी छूट मिली है । आप शरीर और ईन्द्रियों पर संयम रखिए और उनके द्वारा पाप मत होने दीजिए । इतना कर लेने से भी प्रभु की कृपा प्राप्त कर सकेंगे । बाहर से क्रोध करना, ग़लत वही लिखना, ग़लत दस्तावेज तैयार करना तथा झूठ बोलना, मिलावट करना, हिंसा या व्यभिचार करना यदि बंद कर दिया जाय तो भी बेड़ा पार हो सकता है । रास्ता बहोत आसान और साफ़ है । निर्बलता को छोड़ दीजिए, अपने आचार व्यवहार को शुद्ध बनाइये और आगे बढ़ते जाइए । जीवन कृतार्थ हो जाएगा । युग का या किसी दुसरे का दोष मत निकालिए । दोष तो अपना ही निकालना है । क्या चैतन्य, नानक, कबीर कलियुग में नहीं हुए? रामकृष्णदेव, दयानंद, गांधीजी भी तो इस युग में हुए हैं । फिर भी वे महान हो गए । आप भी उनकी तरह अपनी दुर्बलताओं को दुर कीजिए, अपने दोषों को निकालिए, तो आप भी महान बन सकते हैं । आवश्यकता पुरुषार्थ करने की है और यह आपके हाथ की बात है । अतः समय पूरा होने से पहले ही उठिए, जागिए और सावधान हो जाइए । जीवन के आवश्यक निर्माण में जुट जाइए ।

ऋषिकेश में एक ब्राह्मण था । करीब तीस साल से वह नौकरी कर रहा था । वृद्धावस्था से गुज़र रहा था । संतपुरुषों का रसिक था । एक संन्यासी ने उससे कहा कि अब तो तुम्हारी अंतिम अवस्था है । नौकरी कर के धन भी काफ़ी इकट्ठा कर लिया है । ज़मीन भी अच्छी और बहुत है । अब प्रभुस्मरण में जुट जाओ तो इसमें क्या अनुचित है? उस ब्राह्मणने जवाब दिया कि मैं क्या करुं? मेरी इच्छा तो शांति के लिए प्रभुस्मरण करने की है, पर मैं ऐसा नहीं कर सकता । एक दुसरे ब्राह्मण है, शास्त्री है । यदि उनके पास कोई जाता है तो उसे त्याग एवं वैराग्य का उपदेश देते थकते नहीं हैं किन्तु उनमें से वे किसीका पालन स्वयं नहीं करते । प्रवृति छोडकर नर्मदा के किनारे निवास करना ही है ऐसा कहते कहते पंद्रह साल हो गये । उनकी प्रवृत्ति बढ़ती ही जाती है । धनसंचय करने की कामना प्रबल से प्रबलत्तर होती जाती है । अब मृत्यु के बाद ही प्रवृत्ति में से मुक्ति मिलेगी, वह भी कौन कह सकता है? दुर्बल मनवाले आदमी जीवन में कोई भी महत्वपूर्ण काम नहीं कर सकते । इसलिए मन को मजबूत बनाने की आवश्यकता है । इसके अतिरिक्त कामनाओं को भी लगातार शुद्ध और सात्विक बनाते जाइए । आवश्यकताओं और इच्छाओं को बढ़ाने में सुख नहीं है, बल्कि दुःख ही निहीत है । मानव की महानता जरुरतों को मर्यादित करने में है, कामना एवं इच्छा पर संयम रखने में है । संसार में वही आदमी सबसे अधिक सुखी है जिसका जीवन सादा, सरल, आसान और कम-से-कम तृष्णा वाला है । अतः जीवन को सादा, सरल और निर्मल बनाना चाहिए । इसके साथ-ही-साथ काम, क्रोध जैसे असुरों को दिल से निकालने की कोशिश कीजिए । काम का पेड़ बहुत बडा है । उसमें ज्यों ज्यों पदार्थ डाले जाते है वह और भी बड़ा होता जाता है । क्रोध भी ऐसा ही सर्वभक्षी है । इन सबसे बचिए । पुरुषार्थ कीजिए और भगवान से कृपा की याचना कीजिए । उसके अनुग्रह से कार्य अवश्य आसान हो जायगा ।

- © श्री योगेश्वर (गीता का संगीत)

We use cookies

We use cookies on our website. Some of them are essential for the operation of the site, while others help us to improve this site and the user experience (tracking cookies). You can decide for yourself whether you want to allow cookies or not. Please note that if you reject them, you may not be able to use all the functionalities of the site.